आरती श्री रामायण जी की - Aarti Shri Ramayana ji
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEfGiFifRBi2ohE2GrbvUAvZG4VfAVgDpU4CJ0PSoZjhWbzzRKEjc9l9hpeDaa3EsexkaoU2t5ggx6pNMfO9kQ1NSfa483uhNoUhOCCJ3lBJ-rdaDp9XwixZN34RRNISadbXPaJjSkymrB/s640/%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A3+%25E0%25A4%259C%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580.jpg)
आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की ।।
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद । बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ।।
शुक सनकादिक शेष अरु शारद । बरनि पवनसुत कीरति नीकी ।।1
आरती श्री रामायण जी की........।।
गावत बेद पुरान अष्टदस । छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ।।
मुनि जन धन संतान को सरबस । सार अंश सम्मत सब ही की ।।2
आरती श्री रामायण जी की........।।
गावत संतत शंभु भवानी । अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ।।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी । कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ।।3
आरती श्री रामायण जी की........।।
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी । सुभग सिंगार भगति जुबती की ।।
दलनि रोग भव मूरि अमी की । तात मातु सब बिधि तुलसी की ।।4
आरती श्री रामायण जी की........।।
No comments