श्री गीता जी की आरती - sri geeta ji ki aarti

करो आरती गीता जी की ।।
जग की तारन हार त्रिवेणी,स्वर्गधाम की सुगम नसेनी ।
अपरम्पार शक्ति की देनी,जय हो सदा पुनीता की ।।
ज्ञानदीन की दिव्य-ज्योती मां,सकल जगत की तुम विभूती मां ।
महा निशातीत प्रभा पूर्णिमा,प्रबल शक्ति भय भीता की ।। करो०
अर्जुन की तुम सदा दुलारी,सखा कृष्ण की प्राण प्यारी ।
षोडश कला पूर्ण विस्तारी,छाया नम्र विनीता की ।। करो० ।।
श्याम का हित करने वाली,मन का सब मल हरने वाली ।

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