गला बैठ जाना the throat becomes to hoarse
गला अक्सर ही बैठ जना
कारण
गले की मांसपेशी थकान में 8 स्वर बैठना अक्सर ऐसा होता है, ध्वनि स्वरयंत्रज मांसपेशियों के साथ ध्वनि का अभ्यास करके! कैरियर ठीक करने के लिए आम तौर पर अधिक कठिन स्वरयंत्रज मांसपेशियों की थकान नियमित आराम पाने के लिए ध्यान देने की जरूरत है.
उपचार-
गला बैठ जाने वाले रोगियों को हम मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने की सलाह देते हैं। इससे बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। इसके अलावा सोते समय एक ग्राम मुलेठी के 2 gm चूर्ण को मुंह में रखकर चबाते रहें ; फिर वैसे ही मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।
गला बैठना Hoarseness
इस रोग में रोगी का गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी आवाज साफ नहीं निकलती है तथा उसकी आवाज बैठी-बैठी सी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्वर नली के स्नायुओं पर किसी प्रकार के अनावश्यक दबाव पड़ने के कारण वे निर्बल पड़ जाती हैं। इस रोग के कारण रोगी की आवाज भारी होने लगती है तथा गले में खुश्की हो जाती है और कभी-कभी रोगी को सूखी खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।गला बैठने के कारण :-
अधिक गाना गाने, चीखने-चिल्लाने तथा जोर-जोर से भाषण देने से रोगी का गला बैठ जाता है।
ठंड लगने तथा सीलनयुक्त स्थान पर रहने के कारण गला बैठ सकता है।
ठंडी चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करने के कारण भी यह रोग सकता है।
शरीर के अन्दर किसी तरह का दूषित द्रव्य जमा हो जाने पर जब यह दूषित द्रव्य किसी तरह से हलक तक पहुंच जाता है तो गला बैठ जाता है।
गला बैठने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
गला बैठने के रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी से लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया का प्रयोग करके पेट को साफ करना चाहिए।
गला बैठने के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में अपने गले के चारों तरफ गीले कपड़े या मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को अपने गले, छाती तथा कंधे पर बारी-बारी से गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए तथा इसके दूसरे दिन उष्णपाद स्नान (गर्म पानी से पैरों को धोना) करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को गर्म पानी में हल्का सा नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने चाहिए और सुबह तथा शाम के समय में एक-एक गिलास नमक मिला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए।
गला बैठना रोग से पीड़ित रोगी को 1 सप्ताह तक चोकरयुक्त रोटी तथा उबली-सब्जी खानी चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को फल और दूध का अधिक सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कई बार पीना चाहिए तथा इसके अलावा गहरी नीली बोतल का सूर्यतप्त जल कम से कम 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 6 बार पीना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।

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