आरती गोरख नाथ जी की - Aarti Gorakhnath Ji ki
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2tiJqTyEAJkyC0VTODdM0P9IRATdl7NO3hdiDxfSOSO9dKX3CVmhsDxFl0Fn776zeqAuuqChjaINZZxdyxVtaB_8x1emUn1vQRsAXmj10qV0L0QFBAJFhZfQm9fJyL3IXhg0u3Ljd06qO/s640/Aarti+Gorakh+Nath+Ki.jpg)
जय गोरख देवा जय गोरख देवा ।
कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा ।
शीश जटा अति सुंदर भाल चन्द्र सोहे ।
कानन कुंडल झलकत निरखत मन मोहे ।
गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी ।
आदि पुरुष योगीश्वर संतन हितकारी ।
नाथ नरंजन आप ही घट घट के वासी ।
करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी ।
रिद्धी सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी ।
आप अलख अवधूता उतराखंड वासी ।
अगम अगोचर अकथ अरुपी सबसे हो न्यारे ।
योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावे ।
नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावे ।
चारो युग में आप विराजत योगी तन धारी ।
सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी ।
गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे ।
No comments