विष्णु -जी -का -चालीसा( Vishnu -Chalisa -in -Hindi)
।।दोहा।।
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
।।चौपाई।।
नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥1॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥1॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥2॥
तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥2॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥3॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥3॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥4॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥4॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥5॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥5॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥6॥
भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥6॥
आप वाराह रूप बनाया,हरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥7॥
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥7॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥8॥
देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥8॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥9॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥9॥
वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥10॥
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥10॥
असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥11॥
हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥11॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥12॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥12॥
देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥13॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥13॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥14॥
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥14॥
हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥15॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥15॥
चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥16॥
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥16॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥17॥
करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥17॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाईहर्षित रहत परम गति पाई ॥18॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाईहर्षित रहत परम गति पाई ॥18॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥19॥
पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥19॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥20॥
निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥20॥
vishnu jee kee chaaleesa( vishnu chhalis in hindi)
..doha..
vishnu sunie vinay sevak kee chitalaay .
keerat kuchh varnan karoon deejai gyaan bataay .
..chaupaee..
namo vishnu bhagavaan kharaaree,kasht nashaavan akhil bihaaree .
prabal jagat mein shakti tumhaaree,tribhuvan phail rahee ujiyaaree .1.
sundar roop manohar soorat,saral svabhaav mohanee moorat .
tan par peetaambar ati sohat,baijantee maala man mohat .2.
shankh chakr kar gada biraaje,dekhat daity asur dal bhaaje .
saty dharm mad lobh na gaaje,kaam krodh mad lobh na chhaaje .3.
santabhakt sajjan manaranjan,danuj asur dushtan dal ganjan .
sukh upajaay kasht sab bhanjan,dosh mitaay karat jan sajjan .4.
paap kaat bhav sindhu utaaran,kasht naashakar bhakt ubaaran .
karat anek roop prabhu dhaaran,keval aap bhakti ke kaaran .5.
dharani dhenu ban tumahin pukaara,tab tum roop raam ka dhaara .
bhaar utaar asur dal maara,raavan aadik ko sanhaara .6.
aap vaaraah roop banaaya,haranyaaksh ko maar giraaya .
dhar matsy tan sindhu banaaya,chaudah ratanan ko nikalaaya .7.
amilakh asuran dvand machaaya,roop mohanee aap dikhaaya .
devan ko amrt paan karaaya,asuran ko chhavi se bahalaaya .8.
koorm roop dhar sindhu majhaaya,mandraachal giri turat uthaaya .
shankar ka tum phand chhudaaya,bhasmaasur ko roop dikhaaya .9.
vedan ko jab asur dubaaya,kar prabandh unhen dhudhavaaya .
mohit banakar khalahi nachaaya,usahee kar se bhasm karaaya .10.
asur jalandhar ati baladaee,shankar se un keenh ladaee .
No comments