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अश्वगंधा


अश्वगंधा

आमतौर पर अश्वगंधा या भारतीय जिनसेंग का प्रयोग आयुर्वेद में चिंता, गठिया, स्मृति हानि, हीमोग्लोबिन में सुधार और प्रतिरक्षा प्रणाली के इलाज के लिए किया जाता है। अश्वगंधा नसों को आराम देने में मदद करता है इसके अलावा यह एक महत्वपूर्ण कामोत्तेजक भी है।

1.रक्तप्रदर एवं श्वेतप्रदर
अश्वगंधा के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच गाय के दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

2.गर्भपात
बार-बार गर्भपात होने पर अश्वगंधा और सफेद कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 मिलीलीटर रस पहले 5 महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।

3.खांसी
असगंध (अश्वगंधा) की 10 ग्राम जड़ को कूट लें, इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीलीटर पानी में पकाएं, जब 8वां हिस्सा रह जाये तो इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात जन्य खांसी पर विशेष लाभ होता है।

4.आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए
अश्वगंधा का चूर्ण 2 ग्राम, धात्रि फल चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 ग्राम मुलेठी का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

5. कृमि रोग (पेट के कीड़े)
इसके चूर्ण में बराबर मात्रा में गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5-10 ग्राम नियमित सेवन करने से लाभ होता है

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