बच्चे के जन्म के बाद रक्तस्राव में वृद्धि Increased bleeding after childbirth
बच्चे के जन्म के बाद रक्तस्राव अधिक होना
Prolonged bleeding after childbirth
परिचय:-
इस रोग के कारण गर्भवती स्त्री को प्रसव (बच्चे को जन्म देने के बाद) होने के बाद योनि से अधिक रक्तस्राव होने लगता है। पहले-पहले यह स्राव अधिक मात्रा में और लाल रंग का होता है। लेकिन बाद में इसकी मात्रा में कमी हो जाती है और इसका रंग भी कुछ सफेद मवाद जैसा हो जाता है। इस स्राव सें बदबू भी आती है। इसके कारण स्त्री को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस रोग के कारण स्त्री को बहुत अधिक प्यास लगती है और उसके शरीर से पसीना भी अधिक निकलने लगता है। इस रोग के कारण स्त्री को बुखार भी हो जाता है। 7-10 मिनट के तेज रक्तस्राव के कारण स्त्री के हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं। स्त्री को श्वास (सांस) लेने में परेशानी होने लगती है और कभी-कभी तो इस रोग के कारण स्त्री की मृत्यु भी हो जाती है।
बच्चे को जन्म देने के बाद गर्भवती स्त्री को अधिक रक्तस्राव होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले स्त्री को नियमपूर्वक दिन में 2 बार गर्म पानी में रुई को भिगोकर अपने योनिमार्ग को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। जिससे योनि की अन्दरूनी सफाई होकर गर्भाशय और उसके आस-पास के अवयव अपनी स्वाभाविक अवस्था में आ जाते हैं और रक्तस्राव होना बंद हो जाता हैं।
2. इस रोग से पीड़ित स्त्री के दोनों पैरों को गर्म पानी में डुबोकर खूब ठंडे पानी से मेहनस्नान कराना चाहिए। यदि मेहनस्नान कराना सम्भव न हो तो उसके स्थान पर कटिस्नान भी कराया जा सकता है।
3. इस रोग को ठीक करने के लिए एक साफ पुरानी चादर को खूब ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ लें और नाभि से लेकर घुटने तक के आधे भाग के चारों तरफ लपेट दें और एक बात का ध्यान रखें कि चादर को लपेटते समय जांघ का अन्दरूनी भाग, योनिद्वार से मलद्वार तक का स्थान तथा नितम्ब का निचला भाग भी गीली चादर से चिपका रहें। इस चादर के पट्टी के उपयोग करने से गर्भाशय जल्दी सिकुड़ जाता है और परिणामस्वरूप रक्त का स्राव होना बंद हो जाता है।
4. यदि इस रोग से पीड़ित स्त्री को अधिक ठंड लग रही हो तो उसे मेहनस्नान या कटिस्नान नहीं कराना चाहिए बल्कि इसके स्थान पर चादर वाली पट्टी का उपयोग कराना ही लाभदायक होता है।
5. यदि स्त्री को अधिक ठंड लग रही हो तो उसके शरीर पर चादर की पट्टी का उपयोग करने के साथ-साथ, उसके हाथों और पैरों को गर्म रखना बहुत ही आवश्यक है और इस समय में स्त्री के स्तनों पर ठंडी-गर्म सिंकाई करनी चाहिए, जिसके परिणास्वरूप गर्भाशय सिकुड़ जाता है और रक्त का स्राव होना बंद हो जाता है।
6. यदि स्त्री के आंवल गिरने में देर होने के कारण रक्तस्राव अधिक हो रहा हो तो उसके लिए आंवल (आंवर) को जल्दी गिराना जरूरी है। इसलिए इसका प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रक्तस्राव अपने आप ही बंद हो जाता है।
7. गर्भवती स्त्री को बच्चे के जन्म देने के 24 घण्टे के बाद भी कभी-कभी रक्तस्राव हो रहा हो तो इसका प्रमुख कारण स्त्री के शरीर में अधिक कमजोरी आ जाना है। इसलिए स्त्रियों की कमजोरी को दूर करना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप रक्तस्राव जल्दी ही बंद हो जाता है।
8. इस रोग से पीड़ित स्त्री को अपनी नाभि पर आधे घण्टे तक ठंडी पट्टी देनी चाहिए और इस पट्टी को दिन में दो-तीन बार बदलना चाहिए और यह पट्टी स्त्री को रक्तस्राव होते ही लगानी चाहिए और इसे रात भर लगाकर रखना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप रक्त का स्राव होना बंद हो जाता है।
9. यदि रक्तस्राव के कारण स्त्री को अधिक कमजोरी आ गई हो तो उस स्त्री को चारपाई पर लिटाकर उसके सिर के नीचे तकिया लगाकर तथा सिर की तरफ से चारपाई का पाया 8 इंच ऊंचा कर देना चाहिए जिसके परिणास्वरूप मस्तिष्क में खून की कमी के कारण मूर्च्छा आदि नहीं होती है।
10. यदि स्त्री के रक्तस्राव के बाद दुबारा से रक्तस्राव और भी अधिक मात्रा में हो रहा हो तो इस रोग से पीड़ित स्त्री को दो-दो घण्टे के बाद गर्म दूध पिलाना चाहिए और इसके साथ-साथ फलों का रस तथा पानी भी पिलाना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जाए तो प्रसव के बाद रक्त का स्राव होना बंद हो जाता है।
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