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समझे अपने शिशु को Understand your baby

 



समझें अपने शिशु को

Understand your baby

जन्म के बाद नवजात शिशु अपनी मां की गोद में खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है लेकिन कभी-कभी मां के मन में इस बात को लेकर आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है कि वह अपने बच्चे का पालन-पोषण सही ढंग से कर रही हैं या नहीं? क्योंकि बच्चे का पहला साल ऐसा होता है, जिसमें उसकी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस उम्र में बच्चे को दूध पिलाने, उसे नहलाने, मालिश और उसकी नैपी बदलते समय काफी सावधानी बरतनी पड़ती है ताकि आपका बच्चा हमेशा स्वस्थ और हंसता-खिलखिलाता रहे।

शिशु की उचित देखभाल के लिए जरूरी है कि माताएं उनकी जरूरत को पहचानें। छोटे बच्चें रो कर अपनी जरूरतों के बारे में बताते हैं ऐसे में जरूरी है कि आप अपने शिशु की आदतों को जानें।

बच्चे का बेवजह रोना
नवजात शिशुओं में यह स्वाभाविक क्षमता होती है कि वे आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बार-बार रोते हैं। दरअसल शिशु रोकर ही आपके साथ अपना संवाद स्थापित करता है और इस उम्र में बच्चे में इतनी समझ नहीं होती कि वह अपनी जरूरतों की प्राथमिकता को पहचान सके। इसलिए उसे जब भी कोई बात नापसंद होती है तो वह सिर्फ रोता है। आमतौर पर जब भी बच्चे को भूख लगती है, उसकी नैपी गीली होती है, जब वह कोई नया चेहरा देखता है, जब कोई नई आवाज सुनता है, जब उसे बड़ों द्वारा गोद में उठाए जाने की मुद्रा पसंद नहीं आती या फिर उसे कोई भी बात नापसंद होती है तो वह रोकर ही अपना विरोध प्रदर्शित करता है। कभी-कभी बच्चे थकान की वजह से भी रोते हैं।

कैसे बदलें नैपी
जन्म के बाद शुरुआती छह महीने में बच्चे बहुत जल्दी-जल्दी नैपी गीला करते हैं। इसलिए इस उम्र में हर-एक घंटे के बाद बच्चे की नैपी को चेक करके जरूर बदलना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी देर में बच्चे की नैपी बदलना भले ही थका देने वाला काम है पर बच्चे को नैपी रैशेज से बचाने के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है। नैपी बदलने से पहले आप साफ नैपी, कॉटन वूल और बैरियर क्रीम ये सारी जरूरी चीजें बच्चे के पास रख लें, उसके बाद ही बच्चे की नैपी बदलें।

बच्चे की मालिश
मालिश से न केवल बच्चे के शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है बल्कि उसके शरीर की कसरत भी होती है। साथ ही मां के हाथों का प्यार भरा स्पर्श बच्चे को सुरक्षा का अहसास दिलाता है। इसलिए बच्चे के लिए मालिश बहुत जरूरी है और रोजाना बच्चे को नहलाने से पहले उसकी मालिश जरूर करनी चाहिए। बच्चे की मालिश करने का सबसे सही तरीका यह है कि आप जिस कमरे में बच्चे की मालिश करने जा रही हैं, उसकी खिड़कियां और दरवाजे अच्छी तरह बंद कर दें ताकि बाहर की हवा से बच्चे को ठंड न लगे। फिर आप अपने पैर फैलाकर बच्चे को अपने दोनों पैरों के बीच लिटाएं और अपने हाथों में बेबी ऑयल लगा कर बच्चे की मालिश शुरू करें। मालिश की शुरुआत हमेशा बच्चे के पैरों से करें। फिर हलके हाथों से उसके पेट और छाती की मालिश करें। उसके बाद बच्चे को पेट के बल उलटा लिटाकर उसकी पीठ और कमर की मालिश करें और सबसे अंत में बच्चे के सिर की मालिश करें।

बच्चे का स्नान
हर मौसम में बच्चे की मालिश करने के बाद उसे प्रतिदिन नहलाना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए पहले उसके नहाने से संबंधित सारा जरूरी सामान जैसे बेबी सोप, शैंपू, तौलिया, बच्चे के कपड़े और बाथ टब को एक जगह एकत्र करके फिर बच्चे को नहलाना शुरू करना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। इस संबंध में डॉ. सिंघल कहते हैं, 'छोटे बच्चों को नहलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की आंख, नाक या कान में पानी न जाने पाए। इसके लिए बच्चे को अपने बाएं हाथ पर उल्टा लिटाकर नहलाना चाहिए।

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