डायपर के इस्तेमाल में बरतें थोड़ी सावधानी Use some caution in the use of diapers
डायपर के इस्तेमाल में बरतें थोड़ी सावधानी
आज के बदलते दौर में परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, डायपर्स के प्रयोग से बच्चे को भी आराम मिलता है । इससे जहां बच्चों के कपड़े बार-बार गीले होने के कारण बदलने नहीं पड़ते, वहीं शॉपिंग के लिए या किसी के घर जाने पर बच्चों के पेशाब कर देने पर पेरैंटस को शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़ता । यदि इसके इस्तेमाल में थोड़ी सावधानी बरती जाए तो और भी आसानी हो जाती है ।
डायपर्स में नमी सोखने की शक्ति होती है जो कपड़ों में कम होती है । इसलिए यदि इसे बच्चे को एक बार पहना दिया जाए तो 4 या 5 बार पेशाब करने के बाद ही डायपर बदला जाता है । यदि उसने मल त्याग किया हो तो इसे तुरंत बदलना जरूरी होता है क्योंकि बच्चे की कोमल त्वचा को इससे नुक्सान हो सकता है । गीले डायपर से बच्चे को कई प्रकार की त्वचा की बीमारियां हो जाती हैं क्योंकि पेशाब में यूरिया, एसिड एवं अमोनिया आदि होते हैं जो त्वचा में खुजली पैदा करते हैं । इससे बच्चों की त्वचा लाल हो जाती है ।
जब भी बच्चा डायपर पहने तो मां को पीछे हाथ लगा कर जांच करते रहना चाहिए । कुछ बच्चे एक बार में अधिक पेशाब करते हैं । यदि उसने 2-3 घंटों के बाद पेशाब किया हो तो डायपर जल्दी गीला हो जाता है और इसे जल्दी बदलना जरूरी हो जाता है । यदि रात में उसे डायपर पहना कर सुलाया हो तो हर दो घंटे बाद जांच करनी चाहिए कि डायपर कितना गीला है । डायपर की ऊपरी परत हमेशा सूखी रहनी चाहिए, गीला होने पर ही यह त्वचा के संपर्क में आती है और शिशु की वहां की त्वचा लाल हो जाती है । उसके बाद खुजली, सूजन या त्वचा लाल हो जाती है । इसे डायपर डर्मैटिक्स कहते हैं । हल्का लाल होने पर इमोजिएंट क्रीम लगाने से त्वचा मुलायम हो जाती है और लाली भी कम हो जाती है ।
गीले डायपर को अधिक देर तक पहनाए रखने से फंगल इंफैक्शन भी हो सकती है । इस संक्रमण के अधिक दिनों तक रहने पर बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए । रैगुलर टैल्कम पाऊडर से ऐसे संक्रमण पर कोई फायदा नहीं होता । डायपर पाऊडर, जो अलग होता है, उसमें कॉर्न स्टार्च होता है, उसकी सोखने की क्षमता अधिक होती है । यदि डायपर पहनाने से पहले इस पाऊडर को बुरक दिया जाए तो त्वचा सूखी और नर्म रहती है । आप एंटीफंगल पाऊडर भी लगा सकती हैं । इससे फंगल इंफैक्शन कम हो सकता है ।
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