ज़मीनी बिल में रहने वाला उल्लू - Burrowing owl
यह उल्लु आकार में छोटा होता है और ज़मीन मे बिल खोदकर उसमे रहता है. इसका कुल आकार सिर्फ 10 इंच ही होता है। इनका वजन भी सिर्फ 170 ग्राम ही होता है। इनके मुख्या भोजन में झाड़ियों में रहने वाले चुहे सामिल हैं । इनको पकड़ने में इनको महारत हासिल है . यह उल्लु भी बाकि उल्लूओं कि तरहां ही खास है. यु तो इनके पंख छोटे होते हैं पर ये इसको मंडराने और खामोश उडान भरने में मदद करते हैं । इसके इसी गुण के चलते चुहे को पता ही नहीं चलता के ये कब उसपे ऊपर से झपटा मार देते हैं . इनके पंजे किसी चाकू की तरहां तेज़ और अन्दर की तरफ मुड़े हुवे होते हैं इससे यहा अपने शिकार को कास के पकड़ लेता है. साथ ही इसकी आंखें भी खासी तेज़ होती है जिनसे ये अंधेरे मे भी आसानी से देख लेते हैं . इनके कान किसी डिश आण्टीणा जैसे होते हैं जो हलकी से हलकी आवज़ भी सुन लेते हैं । यह इस लिए भी खास है क्यूंकि ये अपने इलाके के चूहों खो नियंत्रण में रखते हैं पर आज ये खतरे में पड़ी हुई पर्जात्ति जिनकी संख्या सिर्फ 10000 जोड़ो के अस - पास ही बची हैं । इनके मिलन का समय बहार का मोसम होता है मिलन के 28 दिन बाद मादा 3 से 12 आण्डे देती है । इसका इन्हें सदा फायदा मिलता है कियुनकी जब ये आण्डे फुटते हैं तब तक मेदान में हरयाली फ़ैल जाती है . पर जिस तरहां से आज मैदान खतम हो रहे हैं इनका भविष्या अंधेरे में ही दिखता है ।
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