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What to do when broken heart in office-क्‍या करें जब ऑफिस में टूटे दिल




written by - unknown

दिल टूटने की आवाज सुनी है कभी। बहुत शोर होता है भीतर ही भीतर। वो बात अलग   है कि बाहर किसी को सुई गिरने की आवाज भी शायद ही आती हो। लेकिन, उसका दर्द तो वही जानता है जिसने इसे महसूस किया हो। लेकिन, जो थम जाए वो जिंदगी कहां।

एक ऑफिस में साथ काम करने वाले लोगों के बीच भावनात्मक संबंध बनाना अस्वाभाविक नहीं। वे काफी वक्त एक-दूजे के साथ बिताते हैं। एक दूसरे की अच्छी बुरी बातों और आदतों के बारे में उन्हें पता होता है। एक दूसरे की पसंद-नापसंद से भी वे अच्छी तरह वाकिफ हो जाते हैं। और उनकी सोच अगर मिलती हो तो अक्सर दोनों के बीच एक सॉफ्ट कॉर्नर हो पैदा हो जाता है। और अक्सर यह रिश्ता दोस्ती की सीढि़यां चढ़ते हुए मोहब्बत के बाग में दाखिल हो जाता है।

लेकिन, कई बार इस बाग में बहार आने से पहले खिजा चली आती है। किसी के लिए भी यह वक्त बेहद मुश्किल हो सकता है। कॅरियर और निजी जीवन की ऊहापोह के बीच जीना दूभर हो जाता है। निजी जीवन का असर काम पर पड़ने लगता है। दफ्तर में रोज अपने एक्स से रूबरू होना, उसके साथ रहना, बात करना और इन सबके बीच अपनी निजी बातों को किनारे रखना, इतना आसान कहां होता है यह सब। बाद दिल से निकलकर दिमाग तक पहुंच जाती है। इसके चलते मानसिक तनाव तक हो सकता है। इन सबका सामना करने के‍ लिए मानसिक दृढ़ता और व्यावहारिकता की जरूरत होती है। जिस रिश्ते को आपने इतने प्यार और जज्बात से सींचा हो उसे भूलकर आगे बढ़ने में वक्त लगता है। और किसी-किसी के लिए यह बहुत आसान नहीं होता। लेकिन बढ़ना तो पड़ेगा ही।



मजबूत बनें--Be strong

कभी जिस चेहरे से आपकी नजरें नहीं हटती थीं आज आप दुआ करते हैं कि आपका उनसे सामना ना हो। बेशक, आपके लिए बहुत मुश्किल होगा बार-बार ऑफिस में उनका सामना करना लेकिन इसके लिए खुद को दोषी मान कर ऑफिस से ब्रेक लेनें या ऑफिस छोड़ने की जगह आपको हिम्मत से काम लेना होगा और इस स्थिति का सामना करना चाहिए। वक्त एक ऐसा मरहम है जो आपके सारे घावों को भर देगा।

बीती ताहि बिसार दे--Let bygones be bygones

जिंदगी रुकने का नाम नहीं है। जिंदगी का नियम है आगे बढ़ते रहना और आवश्यकता भी। हालांकि, यह कहना आसान है और करना मुश्किल। लेकिन,अपना करियर और निजी जीवन दोनों बचाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है।

हकीकत को स्वीकारें--Accept the reality

सबसे जरूरी बात है कि वास्तविकता को स्वीकार किया जाए। खुद को यह समझाएं और मनाएं कि रिश्ता‍ अब खत्म हो चुका है। अपना ध्यान और अपनी संपूर्ण ऊर्जा काम में लगाएं। बेशक , उसके साथ आपका मजबूत भावनात्म‍क संबंध था। और साथ बिताए उन लम्हों की तलछट अब भी आपके दिल में कहीं बाकी है। लेकिन, अब वह सिर्फ आपका सहयोगी है। दफ्तर में उसके साथ अन्य सहयोगियों सा ही बर्ताव करें। अपना व्यवहार नियंत्रित रखें और उससे यह जाहिर न होने दें कि आप अभी पुराने संबंधों में ही जी रहे हैं।



न करें एक दूजे की बुराई-Do not harm one another

अपने सहयोगियों और अन्य सहकर्मियों से एक-दूसरे की बुराई न करें। ऐसा करके आप भले ही रिश्ता के खत्म होने के लिए सामने वाले को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इसका विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना अधिक होती है।

जिंदगी फिल्म नहीं हकीकत है-Life is not a film its reality 

फिल्मों में अक्सर अपने पूर्व प्रेमी/प्रेमिका को जलाने के लिए किसी अन्य शख्स का सहारा लेते‍ दिखाया जाता है। यूं माना जाता है कि अगर वह आपको किसी और के साथ देखेगा तो उसे जलन होगी। लेकिन, सही मायने में यह सब बस फिल्मों में ही होता है। असल जिंदगी में 'यू-टर्न' जैसी कोई चीज नहीं होती।

दूरियां भी है जरूरी-Distances are also important

जहां तक संभव हो सके एक दूसरे से दूरी ही बनाए रखें। आपस में सिर्फ दफ्तर के काम से जुड़ी बातें ही करें। निजी संवाद और बातचीत न करें। जख्मों को कुरेदने का कोई फायदा नहीं।


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