बच्चों के साथ प्यार और गुस्से में संतुलन कैसे बनाएं
बच्चे से न बोलें ऐसी तीखी बातें
How to balance love and anger with children
How to make balance love and anger with children
हर माता-पिता के लिए अपने बच्चे को संभालना और उनकी परवरिश अच्छे ढंग से करना बेहद कठिन कार्य होता हैं क्योंकि हर माता-पिता यही सोचते हैं कि उनके बच्चे की परवरिश अच्छे ढंग से की जाएं और उसमें कोई भी कमी न रह जाएं । माता-पिता होने की जिम्मेदारी निभाना बेहद कठिन कार्य होता हैं,मनुष्य का स्वभाव ही एेसा होता हैं कि किसी न किसी बात पर गुस्सा आ ही जाता हैं लेकिन गुस्से में आकर अपने बच्चे को कोई भी एेसी बात न बोलें जिसका सीधा असर बच्चे के दिमाग पर पड़े क्योंकि बच्चों का मन इतना कोमल होता हैं कि वो हर बात को अपने दिल से लगा लेते हैं । कभी भी अपने बच्चे को उल्टा सीधा न बोलें क्योंकि इससे उनके दिमाग पर असर पड़ता है । अपने बच्चों से कभी भूलकर भी इन बातों का जिक्र न करें ।आलसी या कामचोर कहना
कई माता-पिता अपने बच्चे को हर बात पर आलसी या कामचोर कहकर पुकारते है और अगर वो कोई भी काम करने लगता हैं तो उसे पहलें ही कामचोर कह देते है जिससे बच्चे उस काम को सही ढंग से करने की बजाय सिर्फ उस काम को पूरा करने के बारे में ही सोचते है ।
अपना काम करो
बच्चा जब छोटा होता हैं वो अपने माता-पिता की संगति में ही खुद को सुरक्षित समझता है और वो ज्यादा समय अपने माता-पिता के साथ रहना पसंद करता है लेकिन कई बार माता-पिता इस बात को लेकर भी अपने ही बच्चे को अपने से दूर जानें को कह देते है और उसे अपने से दूर करके उसे कहते हैं कि तुम अपना काम करो ।
अपनी मन मर्जी चलाना
माता-पिता बच्चे को छोटा समझकर अपनी हर मर्जी उस पर थोपने की कोशिश करते हैं जिससे बच्चे स्वभाव से चिड़चिड़े बन जाते है और एेसा करना बिल्कुल गलत हैं क्योंकि बच्चों को कुछ अलग करने का निर्णय खुद लेने देना चाहिए जिससे वो हर काम सही ढंग से करने की कोशिश करेंगा और उसे गलत और सही निर्णय लेने में उसकी मदद करनी चाहिए ।
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