बच्चों की रिश्तों से कैसे करवाएं पहचान
बच्चों को करवाएं रिश्तों की पहचान
How to get children identified with relationships
आजकल की भागदौड भरी जिंदगी में हम रिश्तों की अहमियत को भूलते जा रहे हैं।हर रिश्ते की अपनी अहमियत होती है ओर पेरेंटस को चाहिए अपने बच्चों को रिश्तों के बारे में पूरी जानकारी दें ताकि वह हर रिश्ते की मर्यादा को समझें और अपने बड़ों के साथ पूरे आदर के साथ बातचीत करें।आजकल परिवार के सारे सदस्य कामकाज में इतने व्यस्त होते है कि कई बार तो सारा दिन के कामकाज के बाद वो अपने बच्चों के साथ भी अपना समय व्यतीत नहीं कर पाते लेकिन इसका सीधा असर हमारे रिश्तों पर पड़ता है।जिस कारण आजकल के बच्चे रिश्तों की अहमियत को नहीं समझते।बच्चों को यह जानना बहुत जरूरी है कि चाचा-चाची , दादा-दादी , नाना-नानी से उन का क्या रिश्ता है।पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने बच्चों में एेसे संस्कार डालें कि वो हर रिश्तों को समझें और अपने बड़ों से प्यार से बात करें।
आज कल संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे है।जिसका सीधा असर आने वाली पीढी पर पड़ रहा है।पहले बच्चा जब पैदा होता था तब उसका पालन पोषण संयुक्त परिवार में होता था लेकिन आजकल एकल परिवार में होने के कारण बच्चा अपने माता पिता के इलावा किसी ओर रिश्ते की अहमियत को समझेगा ही नहीं।
जिस कारण बच्चों में अपनेपन की कमी और दूसरे रिश्तों को सम्मान देने की आदत नहीं पनपती।जिसके चलते रिश्तेनातों में और भी खटास पैदा हो जाती है।आधुनिकता की अंधी दौड में हमें रिश्तों के महत्व को बिलकुल नहीं भूलना चाहिए। हमें अपने बच्चों को पारिवारिक परंपराओं और रिश्तों के महत्व को जरूर समझाना चाहिए।
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